सुबह - सवेरे
स्वच्छंद
साँवरे - सावन
की सर्र - सर्र सरसराती
हवाओं के साथ
जल - बिन्दु
भिगो गयी मुझे ~~~
कि अचानक
मौसम ने ली
अंगराई !!
सूरज ने इंद्रधनुषी छटा बिखराई
यूँ लगा ~~~
आचमन कर लिया मैंने
तुम्हें धारण कर लिया मैंने
मानों - मौन मधु
सरस हो गया !!!
===== © वंदना दुबे
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