Wednesday 20 August 2014


यादें ....

तेरी याद मेरे दिल में
मेरे सासों जैसी
पल - पल साथ ------------
तेरी बातें
सागर की लहरों जैसी
छूकर मेरे पैरों को
रोमांचित कर
लौट - लौट जाती है ...

यादें हमारी जेहन ख़जाने की तरह होती हैं.... यादों की दस्तक दिलों - दिमाग से जुदा नही होती ताउम्र .....हम जिन्दगी यादों में तलाशते रह जाते हैं ....इन्हें समेटने और सहेजने का कभी प्रयास नही करना पड़ता ....
दिल के किसी कोने में घर किये होती हैं .....बाँवरा मन ही तय करता है किन्हें संजोना है और किन्हें भुलाना ......

यादों के भी दो रूप होते हैं
१ . व्यक्तिगत
२. सामूहिक

सामूहिक यादें हमें समाज , सभ्यता ,और वंश से जोड़े रहती हैं वहीं व्यक्तिगत मन को पुलकित ,प्रफुल्लित ,उत्साहित और जीवन्तता प्रदान करती हैं सुंदर समृतियों को मन जीवन पर्यन्त संजोये रखता है हर घटना , रचना , तस्वीरें अपना डेरा जमाये रहती हैं और मीठी ,खट्टी अनुभूति हमें अनुभव कराती रहती है .....बेहतरीन लम्हों ,तस्वीरों ,जगहों पर हम कभी मुस्कुराते है या अश्रु लुड़काते हैं ...यादों का सिलसिला अंतहीन है .....

{.... वंदना दुबे ......}
 

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