Tuesday 28 October 2014

सपने ~~~
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सपने हज़ारों साल से कौतूहल बने हुए हैं !!! हज़ारों साल से इनपर शोध हो रहा है, पर पहेली !
उतनी ही गूढ़ रहस्य और उलझी गुत्थी बनी हुयी है ....... आज भी विज्ञान-विधा के लिए, उतनी ही अनबूझ पहेली। बंद नयनों के पीछे कई स्वप्न उभरते हैं, नयन खुले तो स्वप्न अधूरा !!!
स्वप्न का रिश्ता भूत, भविष्य और वर्तमान सभी से सामान होता है, जैसी सोच होती है, सपने भी उन्ही को साकार करते हैं, रंग बिरंगे मधुर सपने, गुलों पर ओस की बूंदों से नाजुक,सुमन से महकते, विरह में तड़फते , जीवन के हर रस से ~~~ रंगारंग !!
जिन ख़्वाबों का हम सचेतन अवस्था में गला घोट देते हैं, उन ख़्वाबों को हम सुप्तावस्था में सच होता पाते हैं। हमारे पुराणों में भी विदित है कि केवल मानव जाति ही स्वप्न का आनंद उठा पाती है। स्वप्न में अपने आराध्य के दर्शन से मन पुलकित हो उठता है। कभी हम काम के बोझ से थके हों तो सुहाने सपने मन को आत्म-विभोर कर देते हैं हर सपना कुछ कहता है, स्वप्न के सार को समझना गूढ़ कला है।
हर स्वप्न कुछ-न कुछ कहता है। कुछ सपने जीवन में खुशियों की लहर भर देते हैं। तो कुछ उदास कर देते है हमें ! सपनों का सीधा संबंध अंतर्मन से होता है। जब हम नींद में होते है, तब हमारी देह अंतर मन से अलग होती है क्योंकि आत्मा कभी सोती नहीं। जब मानव शयनावस्था में होता है तो उसकी पाँचों ज्ञानेंद्रियाँ उसका मन सुप्तावस्था में तल्लीन और व्यक्ति का मस्तिष्क पूरी तरह शांत रहता है। उस अवस्था में व्यक्ति को एक अनुभव होता है, जो उसके जीवन से संबंधित होता है। उसी अनुभव को स्वप्न कहा जाता है। स्वप्न के सम्बन्ध में कई भ्रांतियाँ भी है जिन्हें हम शुभ- अशुभ का सूचक मानते हैं।
१) सपने में खिले हुए गुलाब के फूल देखने से मनोकामना पूर्ण होती है।
२) पतंग उड़ाना -व्यापार में लाभ।
३) सपने में रसभरे फल खाना अत्यंत शुभ माना गया है।
४) मक्खन - यह प्रसन्नता का सूचक है।
सपनों को ऊंचाई दो, नभ की विशालता दो, अचेतन मन कि मीठी फुहार है, कोई सीमा नही, कोई बंधन नही...... सपनों के संग हम आज़ाद होते हैं.......... उड़ सकते हैं ~~~~~ चहक सकते हैं ****** ख़्वाबों में जी सकते हैं, गहन वन में घूम सकते हैं--------- खुश रहिये, पुलकित रहिये और खूब सपने देखिये। _/\_

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