Wednesday 20 August 2014

मेरे प्रिय रागों के
आरोह
अवरोह समतुल्य
क्षण - क्षण
समाहित हो रहे
मेरे जीवन में 
तुम
शनै : शनै 



सिंदूरी सूरज
सुबह - सुबह
तुम सदृश्य
अपूर्व सौंदर्य भरपूर 
वही नूर
वही गुरुर
हमसे कितनी दूर
जैसे तुम
सुदूर~~~~

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