Saturday 2 June 2018

सावन आया खुशियां लाया 

हवाओं में सोंधी महक
वसुधा की  कोमल नमी
अमुआ के झूले
बरखा की मीठी फुहार
छेड़े मन के तार
भीगा  मन मेरा भी~~~~


टप -टप
टपाटप,
सघन मेघ
घिर - घिर
कारे -कारे  ~~~~~
मधुर - मधुर
मिया मल्ल्हार की तानों सा
श्रृंगारित हुए पात - पल्लव
वनस्पतियाँ अंगराई लेने लगी
भीगा मन मेरा भी  ~~~~~

सावन प्रकृति के उल्लास का मौसम है. वैसे तो हम ऋतुराज " बसंत"   को कहते हैं, पर मेरी नज़र में सावन भी कुछ कम नहीं | जीवन दायनी सा , काले मेघ नयनाभिराम दृश्य " सावन के झूले हम कैसे भूले" मेंहंदी से रचे हाथ, नव दुल्हनिया मायके की राह देखती....... सावन आते ही रोम-रोम रोमांचित सा हो जाता है, मन गुनगुनाने लगता है सराबोर घनरस से धरा का कोना -कोना दृष्टिगत प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने नए परिधान धारण कर लिए हों और नव-अंकुरण को तत्पर-तैयार |

घन घनन घनन
घिर-घिर
घनकाल ( सावन) की घनघोर
रुत आयी .......


हरी भरी है वसुधा
खगों का है मेला,
फिर भी है दिल अकेला
फिर भी है दिल अकेला

सावन प्रेम को जन्म देता है प्रकृति के साथ मिलकर प्रेम -मास भी कहें तो अतिसंयोक्ति नहीं होगी किसी  के साथ बिठाये खूबसूरत लम्हे....... हमें बीते कल की याद दिलाते हैं | मन बरबस भीग जाता है अश्रुओं  से |

तेरी बातें भी सावन जैसी होती हैं,
मुझे अंतर्मन तक भिगो देती हैं

सावन भगवान शिव का महीना भी कहलाता है .. कुदरत की खूबसूरती को बढ़ाने वाला महीना... सावन का ये सुखद   माह परम ब्रह्म शिव का परमप्रिय  महीना भी है... और इसीलिए सावन में शिव की पूजा का विशेष महत्व है... धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  सावन में शिव की साधना से मानव  को कई तरह के लौकिक-अलौकिक फलों की प्राप्ति होती है... और कल्याणकारी शिव सावन में अपने उपासकों का हर तरह से कल्याण करते हैं... भगवान शिव शीघ्र  प्रसन्न होने वाले महादेव हैं,  कहा भी गया है शास्त्रों में उनके बारे में ...
"आशुतोष तुम औघड़ दानी"

इस माह में भगवान शिव के 'रुद्राभिषेक' का विशेष महत्त्व है। इसलिए इस माह में, खासतौर पर सोमवार के दिन  'रुद्राभिषेक' करने से शिव भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं और अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रूप में समर्पित किया जाता है।


सावन का महीना और चारों और हरियाली खुशहाली भारतीय वातावरण में इससे अच्छा कोई और मौसम नहीं बताया गया है। जुलाई- अगस्त में आने वाले इस मौसम में, ना  अधिक गर्मी होती है और ना ही बहुत ज्यादा सर्दी।  वातावरण को अगर एक बार हम अलग भी कर लें,   किन्तु अपने आध्यात्मिक पहलू के कारण सावन के महीने का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व बताया गया है। सावन के अंतिम दिन हर वर्ष रक्षा बंधन भाई -बहन के अटूट प्रेम का पर्व है |


सावन माह के बारे में एक पौराणिक कथा है कि- "जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान भोलेनाथ ने बताया कि “जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया”।

वैसे सावन की महत्व  को दर्शाने के लिए और भी अन्य कई कहानी बताई गयी हैं जैसे कि मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी।

कुछ कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन महीने में समुद्र मंथन किया गया था। मंथन के बाद जो विष निकला, उसे भगवान शंकर ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी।

किन्तु कहानी चाहे जो भी हो, बस सावन महीना पूरी तरह से भगवान शिव जी की आराधना का महीना माना जाता है। यदि एक व्यक्ति पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है, तो यह सभी प्रकार के दुखों और चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करता है।सावन के महीने में भक्त, गंगा नदी से पवित्र जल या अन्य नदियों के जल को कामड़ में कन्धों पर रख  मीलों की दूरी तय करके लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कलयुग में यह भी एक प्रकार की तपस्या और बलिदान ही है, जिसके द्वारा देवो के देव महादेव आशुतोष  को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।

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