मेरी कविताएँ
Saturday 2 August 2014
इंद्रधनुषी भोर
ताज़गी भरा सवेरा
तेरी यादों ने
लो फिर
डाला है डेरा !!!
अरुण आभा की
मुस्कराहट
चहुंओर छायी
लो फिर एक
पुलकित प्रफ्फुलित उल्लासित
बिहान आई !!!
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