Wednesday 20 August 2014


एक बार चले आओ~~
जब तुम आओगे
रुत हो जायेगी बासन्ती
फूल पत्ते बन पराग
बिछ जायेंगे पथ में
एक बार चले आओ ~~~~

*****
खिल -खिल जावेंगे
भीगे - भीगे नयन
घुल जाएगा संचित विरह - विराग
नीर लेंगे तुम्हरे
पग पँखार
दूंगी तुम पर सर्वस्व वार
हो जाओगे फिर तुम निहाल
एक बार चले आओ ~~~~

*****

कोमल सुमन हरश्रृंगार क़ी परतें
पग -पग में बिखराऊँगी
नयन नीर के लवण सलिल से
कोमल कर धुलवाऊंगी
संग - संग गायेंगे
" कलावती " का राग आलाप
मन होगा अपना तार - तार
एक बार चले आओ ~~~
 

No comments:

Post a Comment