Wednesday 20 August 2014

जिये कुछ इस तरह
की कल भी जीवित रहना है ,
करो कुछ इस तरह
की कल ही मर जाना है। 



यादों का सिलसिला ~~
बार - बार चला जाता है
क्यूँ ???
बीते कल की ओर
और
बेसाख्ता !!!
इन नयनन में
नमी ,
कुछ ख़ुशी की
कुछ गम की 
कुछ आशायें !!!
आने वाले कल की 



कुछ रिश्ते बनायें रब ने
कुछ रिश्तें बनायें लोगों ने
वे रिश्ते मगर ख़ास
जो रिश्ता निभाये रिश्तों के बिना.......

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