एक अपूर्व धुन ~~~~
तुम्हें पाने की लालसा
ने ली फ़िर अंगड़ाई ,
रोमांचित कर गयी मुझे ………
तुम संग ,
तरंगिणी तट पर
सांध्यप्रकाश की
मनोहारी बेला में
वक़्त बिताने का मन ………
तुम्हारी और मेरी
उलझी हथेलियाँ
उनकी ऊष्मा ~~~~~~
और अंकुरित होता प्रेम ………
तुम्हारे स्पर्श का
वह सुकोमल एहसास
हरसिंगार के फूलों सा
जनम - जनम तक ..........
कि मेरी तंद्रिल आँखों से
गरम - गरम आंसूं
फ़िर चूने लगे।
~~~~ वन्दना दुबे ~~~~
—तुम्हें पाने की लालसा
ने ली फ़िर अंगड़ाई ,
रोमांचित कर गयी मुझे ………
तुम संग ,
तरंगिणी तट पर
सांध्यप्रकाश की
मनोहारी बेला में
वक़्त बिताने का मन ………
तुम्हारी और मेरी
उलझी हथेलियाँ
उनकी ऊष्मा ~~~~~~
और अंकुरित होता प्रेम ………
तुम्हारे स्पर्श का
वह सुकोमल एहसास
हरसिंगार के फूलों सा
जनम - जनम तक ..........
कि मेरी तंद्रिल आँखों से
गरम - गरम आंसूं
फ़िर चूने लगे।
~~~~ वन्दना दुबे ~~~~
No comments:
Post a Comment