मेरी कविताएँ
Wednesday 20 August 2014
आ गया घनकाल ~~~~
घनघोर
घन - घन करते
घिरे - घनरस
घनन - घनन
टप - टप
टपाटप
श्रृंगारित हुए पात - पात
भीगा मन मेरा भी ~~~
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