मेरी कविताएँ
Monday 6 October 2014
प्रांजल - गंगाजल
सा
तेरा अहसास
जो हर
सवेरे मुझे,
नित नई
ऊर्जा से भर
देता है !!!
अपने
पावन सलिल
सदृश्य ~~~~~
वंदना दुबे
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