Monday 6 October 2014

फिर बौराया !
आँगन में हरसिंगार
हर ( भोले ) को भाये 
हरि ( कृष्णा ) भी मुस्काये ~~~ 
खुशबू बिखराये !
रात को करता शाखाओं
को शोभित
और
सुबह - सवेरे
अवनि को
अंजुली भर फूल
मेरी पूजा की थाली को !
अर्पित करती शंभू को
और होती हर्षित ~~~~

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