Monday 6 October 2014

शुभ इतवार मित्रों !!!
हमारी खुशियाँ हमारी    !!! हम सब स्वतंत्र हैं और खुशियों का आनंद उठाने का हक़ भी हमारा। प्रयत्न रहे हर पल कि किसी की बात से आहत न हो, ना ही अपने मष्तिस्क में बेवजह उसे स्थान दें, हम प्रसन्न हैं और हमारी प्रसन्नता दूसरों पर निर्भर नही होनी चाहिए। प्रतिदिन हमारे जीवन में ऐसा कुछ घटित होता है जो हमें पुलकित या दुखित करता है. .... प्रसन्नता वह भाव है जो अंतर्मन से जागृत हो, वह किसी के अधीन हो ही नही सकता, आनंद हमारे स्वभाव में होना चाहिए कोई भी बाह्य भाव हमें प्रभावित नही कर सकता। प्रतिदिन मेरा यही अथक प्रयास होता है कि किसी एक चेहरे पर मुस्कराहट ला सकूँ। और इससे मुझे आंतरिक ख़ुशी मिलती 

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