Monday 6 October 2014

सुनो ....
देखो ना ....
सावन - भादों
बीत गए अब
सुबह -सवेरे 
मद्धम - मद्धम
मदमाती
गुलाबी ठण्ड
ने दस्तक दी है !!!
पंख होते तो
नन्ही चिड़िया सी
ले बाहों में
उमंग ~~~
तरंगित मन से
उड़ आती तुम तक
मगन - मगन !!!
या फिर
चारों दिशाओं तक
क्षितिज की लाली तक,
टकराती
इठलाती
और ठहर वहीँ जाती !!!


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