मधुर बोल;
मेरे मनहर !!!
मेरे पास हैं बस
मधुर बोल;
कभी हँसती मैं
कभी रोती मैं,
कभी जगती मैं
कभी खोती मैं !
पर
पाती जो कुछ भी
मैं,
बाँट तुम्हें सब देती हूँ !
और
मन ही मन
खुश होती हूँ !
राग -अनुराग
से भरा है मन
चिर -विस्मृति सी
मैं
रहूँ मगन !
तुममें खुद को
पा लेती हूँ ,
दुःख को सुख भी
कर लेती हूँ !!!
मेरे पास हैं बस
मधुर -बोल;
मधु -रस से
गूजेंगे तुम्हारे
कानों में
विस्मित से रह जाओगे !!!
वंदना दुबे
मेरे मनहर !!!
मेरे पास हैं बस
मधुर बोल;
कभी हँसती मैं
कभी रोती मैं,
कभी जगती मैं
कभी खोती मैं !
पर
पाती जो कुछ भी
मैं,
बाँट तुम्हें सब देती हूँ !
और
मन ही मन
खुश होती हूँ !
राग -अनुराग
से भरा है मन
चिर -विस्मृति सी
मैं
रहूँ मगन !
तुममें खुद को
पा लेती हूँ ,
दुःख को सुख भी
कर लेती हूँ !!!
मेरे पास हैं बस
मधुर -बोल;
मधु -रस से
गूजेंगे तुम्हारे
कानों में
विस्मित से रह जाओगे !!!
वंदना दुबे
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