Tuesday 28 October 2014

मधुर बोल;

मेरे मनहर !!!
मेरे पास हैं बस
मधुर बोल;

कभी हँसती मैं
कभी रोती मैं,
कभी जगती मैं
कभी खोती मैं !

पर

पाती जो कुछ भी
 मैं,
बाँट तुम्हें सब देती हूँ !

और
मन ही मन
खुश होती हूँ !

राग -अनुराग
से भरा है मन
चिर -विस्मृति सी
 मैं
रहूँ मगन !

 तुममें खुद को
 पा लेती हूँ ,
 दुःख को सुख भी
 कर लेती हूँ !!!

मेरे पास हैं बस
मधुर -बोल;

मधु -रस से
गूजेंगे तुम्हारे
कानों में
विस्मित से रह जाओगे   !!!

वंदना दुबे

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