pavan
"सुन री पवन
उन के पास होकर आ
पुरवाई सुगंध
बारिश की बूंदों को
सहेज कर ले जा
मिटटी की भीनी ख़ुशबू
दिल की गहनता
अंतसः बहता अविरल प्रवाह
लौटकर फिर वापस आ
पत्तों के हिलने से
मालती की ख़ुशबू से
छू लूँ तुझे
कैद कर लूँ तुझे
उन्हें महसूस कर लूँ
तू बेबफ़ा है
जाने कब लौटेगी "
उन के पास होकर आ
पुरवाई सुगंध
बारिश की बूंदों को
सहेज कर ले जा
मिटटी की भीनी ख़ुशबू
दिल की गहनता
अंतसः बहता अविरल प्रवाह
लौटकर फिर वापस आ
पत्तों के हिलने से
मालती की ख़ुशबू से
छू लूँ तुझे
कैद कर लूँ तुझे
उन्हें महसूस कर लूँ
तू बेबफ़ा है
जाने कब लौटेगी "
No comments:
Post a Comment