Sunday 28 April 2013


Photo: "सुन री पवन 
उन के पास होकर आ 
पुरवाई सुगंध 
बारिश की बूंदों को
 सहेज कर ले जा 
मिटटी की भीनी ख़ुशबू
दिल की गहनता 
अंतसः बहता अविरल प्रवाह 
लौटकर फिर वापस आ
पत्तों के हिलने से 
मालती की ख़ुशबू से
छू लूँ तुझे
 कैद कर लूँ तुझे 
उन्हें महसूस कर लूँ
तू बेबफ़ा है 
जाने कब लौटेगी "

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