Wednesday 3 April 2013


Basant 

प्रियतम अब आ जाओ ....
खोयी दिशायें 
महकी बयारे 
गुलाबी हवाये 
बसंती सुगंधे
रंगीन फिजाये    
प्रियतम अब आ जाओ ....
महके हुये पल-पल 
कभी न हो ओझल 
झरनों का ये कल-कल 
दिल  में  नयी  है हलचल
 प्रियतम अब आ जाओ ....
अवनि भी मुस्कायी  हमसंग 
सरसों भी बोरायी संग -संग 
जीवन में  आ गए हैं सतरंग 
बसन्ती रुत में  हम भी रंगारंग
 प्रियतम अब आ जाओ ....
विस्तृत नभ का  कोना - कोना 
हर पल को न  अपना होना 
सितारों की छाव में अपना बिछौना 
नयन से नयन का मधुर मिलन
 प्रियतम अब आ जाओ ....
जो आ गये तो जाने न दूंगी 
लम्हा-लम्हा में जी लूंगी 
नैनों में तुम्हे भर लूंगी 
पलक बंद कर छलकने न दूँगी
 प्रियतम अब न  जाओ ......
......वंदना दुबे ......




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