Basant
प्रियतम अब आ जाओ ....
खोयी दिशायें
महकी बयारे
गुलाबी हवाये
बसंती सुगंधे
रंगीन फिजाये
प्रियतम अब आ जाओ ....
महके हुये पल-पल
कभी न हो ओझल
झरनों का ये कल-कल
दिल में नयी है हलचल
प्रियतम अब आ जाओ ....
अवनि भी मुस्कायी हमसंग
सरसों भी बोरायी संग -संग
जीवन में आ गए हैं सतरंग
बसन्ती रुत में हम भी रंगारंग
प्रियतम अब आ जाओ ....
विस्तृत नभ का कोना - कोना
हर पल को न अपना होना
सितारों की छाव में अपना बिछौना
नयन से नयन का मधुर मिलन
प्रियतम अब आ जाओ ....
जो आ गये तो जाने न दूंगी
लम्हा-लम्हा में जी लूंगी
नैनों में तुम्हे भर लूंगी
पलक बंद कर छलकने न दूँगी
प्रियतम अब न जाओ ......
......वंदना दुबे ......
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