तुम चुपके चुपके
पल - पल
हौले - हौले
नैनो के रास्ते
दिल में उतरते चले गये.....
ए अजनबी
रातरानी जूही से
मेरी हर रात को
ख़ुशबुओ से भरते चले गये .....
तुम पाषाण से शख्त नज़र आते हो
पर गुफ्तगू से पिघलते हो
सुबह के प्रथम प्रहर में तुम्हारा
अलौकिक अनूठा अविरलप्रेम
पूरे दिवस ताजगी ओज से
लबालब कर देता मुझे ........
ए अजनबी बताओ कौन हो ???
???
क्या मेरे हमदम
हमराज हो
तुम जो भी हो
जीने का नया अंदाज़ हो
बेपनाह मोह्हबत है तुमसे
तुम मेरे सुर और साज हो
तुम पलकों में भर लूंगी
मैं दूर न जाने दूंगी मैं
जीवन सारा जी लूंगी...
वंदना दुबे .....
पल - पल
हौले - हौले
नैनो के रास्ते
दिल में उतरते चले गये.....
ए अजनबी
रातरानी जूही से
मेरी हर रात को
ख़ुशबुओ से भरते चले गये .....
तुम पाषाण से शख्त नज़र आते हो
पर गुफ्तगू से पिघलते हो
सुबह के प्रथम प्रहर में तुम्हारा
अलौकिक अनूठा अविरलप्रेम
पूरे दिवस ताजगी ओज से
लबालब कर देता मुझे ........
ए अजनबी बताओ कौन हो ???
???
क्या मेरे हमदम
हमराज हो
तुम जो भी हो
जीने का नया अंदाज़ हो
बेपनाह मोह्हबत है तुमसे
तुम मेरे सुर और साज हो
तुम पलकों में भर लूंगी
मैं दूर न जाने दूंगी मैं
जीवन सारा जी लूंगी...
वंदना दुबे .....
No comments:
Post a Comment