Wednesday 10 April 2013


विश्वास

सोचा जैसा हुआ नहीं
चाहा जैसा मिला नही
क्यूँ कोई विश्वास पर
खरा उतरता नही
ये मन तू कर प्रयास
की रिश्ते की डोर टूटे नही
अपनों का साथ छूटे नहीं
फिर भी खुश होले
सब कुछ यहाँ मिलता नही
आखों में नमी
लबों पर हसीं
यही है जिन्दगी !!! यही है जिन्दगी !!!

मानव अपने विश्वास से निर्मित होता है , जो संपूर्ण विश्व में व्याप्त है वही विश्वास है , सम्बन्ध युगल पक्ष का सेतू है शिव शाश्वत सत्य है जिसका आधार यह चराचर जगत है शिव ईश्वर के प्रथम अवतार कहलाते हैं श्रद्धा प्रेम स्नेह शब्दों को जीवंतता प्रदान की .....
विश्वास रहित संबंध एक जलजीवन की चल- रेखा है , पार्वती जी का भी निश्वार्थ विश्वास डिग जाने पर उन्हें हजारों वर्षों तक सूखी
पत्तियों का सेवन करना पड़ा , सिबरी , गिद्धराज , अहिल्या , गजराज , भरत ,अजर अमर होने का आधार आपसी विश्वास है , इनके
आभाव में जो सम्बन्ध स्थापित होते है वे मात्र प्रायश्चित का कारण बनते हैं ....इसलिए आशुतोष श्रद्धा और विश्वास का रूप
कहलाये .....
वंदना दुबे ......
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