Tuesday 30 April 2013



Sunday 28 April 2013


Photo: "सुन री पवन 
उन के पास होकर आ 
पुरवाई सुगंध 
बारिश की बूंदों को
 सहेज कर ले जा 
मिटटी की भीनी ख़ुशबू
दिल की गहनता 
अंतसः बहता अविरल प्रवाह 
लौटकर फिर वापस आ
पत्तों के हिलने से 
मालती की ख़ुशबू से
छू लूँ तुझे
 कैद कर लूँ तुझे 
उन्हें महसूस कर लूँ
तू बेबफ़ा है 
जाने कब लौटेगी "

Sunday 14 April 2013


chah

"मेरे मन में छुपी
मासूम सी कली
चटक नैन -नक्शो वाली
उम्मीदों से लबालब
हरदम थिरकने को आतुर
रोम - रोम बहे सुरसरिता
मन तरंगो से तरंगित
कभी आभास नही होता
कि अंदर कितनी
तेज़ बह रही
नित -नूतन जगहों को
देखने कि लपक- ललक
जानने कि जिज्ञासा
कामनाओं से भरपूर
मोह्पाश में जकड़ी हुई
पैबंदों में बंधी हुयी
स्मृतियों से निकलने
को मचलती हुयी .....
मेरे मन में छुपी
 ....

Thursday 11 April 2013


ख्वाइशों का कारवां
फ़िर गुजरा मेरे मन में
अचानक बैठे - बैठे
यादों के काफ़िले से .....
खुल गये बंद झरोके
झिलमिलाती सी रोशनी झिरियों से
उद्वलित सी तुम्हारी महकती बातें
चेतन मन पर फ़िर डोलती
हौले से रूह को चीरती
सासों के अंदर उथल - पुथल
लहू की उष्णता
गुमनाम जिन्दगी में
तुम्हारा अचानक ख्वाबों में
दस्तक देना .....
एक लम्बे अंतराल बाद
अपने को प्रफुल्लित पाया मैंने
देखो कितनी बदल गयी जिन्दगी
इस मोड़ पर
और खिलखिलाती रही घंटों में .....

वंदना दुबे ......

Wednesday 10 April 2013


विश्वास

सोचा जैसा हुआ नहीं
चाहा जैसा मिला नही
क्यूँ कोई विश्वास पर
खरा उतरता नही
ये मन तू कर प्रयास
की रिश्ते की डोर टूटे नही
अपनों का साथ छूटे नहीं
फिर भी खुश होले
सब कुछ यहाँ मिलता नही
आखों में नमी
लबों पर हसीं
यही है जिन्दगी !!! यही है जिन्दगी !!!

मानव अपने विश्वास से निर्मित होता है , जो संपूर्ण विश्व में व्याप्त है वही विश्वास है , सम्बन्ध युगल पक्ष का सेतू है शिव शाश्वत सत्य है जिसका आधार यह चराचर जगत है शिव ईश्वर के प्रथम अवतार कहलाते हैं श्रद्धा प्रेम स्नेह शब्दों को जीवंतता प्रदान की .....
विश्वास रहित संबंध एक जलजीवन की चल- रेखा है , पार्वती जी का भी निश्वार्थ विश्वास डिग जाने पर उन्हें हजारों वर्षों तक सूखी
पत्तियों का सेवन करना पड़ा , सिबरी , गिद्धराज , अहिल्या , गजराज , भरत ,अजर अमर होने का आधार आपसी विश्वास है , इनके
आभाव में जो सम्बन्ध स्थापित होते है वे मात्र प्रायश्चित का कारण बनते हैं ....इसलिए आशुतोष श्रद्धा और विश्वास का रूप
कहलाये .....
वंदना दुबे ......
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Friday 5 April 2013

भीगा - भीगा मौसम 

भीगा - भीगा मौसम
तन्हा - तन्हा सी रातें
अफ़सुर्दा -अफ़सुर्दा यादें
अँधेरे की सरगोशी
पत्तों की करकराहट
रातरानी की ख़ुशबू
दिल में फ़िर हलचल
तेरे अहसास का अकूत बंधन
तेरे साथ गुजरे वो हसीन पल
तेरे वापस आने की उम्मीदें
तेरी राहों पर मेरी एकटक नज़र
धीरे -धीरे रात का ढलना
एक नयी सहर की तलाश
वंदना दुबे ......

Wednesday 3 April 2013


चल कही दूर ...

मन बावरा
फिर उदास :(((
चल कही दूर .......
जहाँ कोई न हो
कोई अपना न हो
फिर हम दुखी न हों
चल कहीं दूर .....
अपनों से छलना
मन का टूटना
सपनों का बिखरना
विश्वास पर न खरा उतरना
चल कही दूर .....
भाव - विभोर मन
उल्लास गुम
गुमसुम हम
चल कहीं दूर ......
हम परिंदों से मसरूफ़ क्यूँ नहीं
हम नदी से अल्लहड़ क्यूँ नहीं
हम पवन से चंचल क्यूँ नहीं
चल कहीं दूर ...
चल तू
सुनसान रातों में
सितारों की छाँव में
सिन्दूरी लालिमा में
सरिता तट में
वीरान कानन में
चल कहीं दूर .........


Basant 

प्रियतम अब आ जाओ ....
खोयी दिशायें 
महकी बयारे 
गुलाबी हवाये 
बसंती सुगंधे
रंगीन फिजाये    
प्रियतम अब आ जाओ ....
महके हुये पल-पल 
कभी न हो ओझल 
झरनों का ये कल-कल 
दिल  में  नयी  है हलचल
 प्रियतम अब आ जाओ ....
अवनि भी मुस्कायी  हमसंग 
सरसों भी बोरायी संग -संग 
जीवन में  आ गए हैं सतरंग 
बसन्ती रुत में  हम भी रंगारंग
 प्रियतम अब आ जाओ ....
विस्तृत नभ का  कोना - कोना 
हर पल को न  अपना होना 
सितारों की छाव में अपना बिछौना 
नयन से नयन का मधुर मिलन
 प्रियतम अब आ जाओ ....
जो आ गये तो जाने न दूंगी 
लम्हा-लम्हा में जी लूंगी 
नैनों में तुम्हे भर लूंगी 
पलक बंद कर छलकने न दूँगी
 प्रियतम अब न  जाओ ......
......वंदना दुबे ......






तुम चुपके चुपके
पल - पल
हौले - हौले
नैनो के रास्ते
दिल में उतरते चले गये.....
ए अजनबी 

रातरानी जूही से
मेरी हर रात को
ख़ुशबुओ से भरते चले गये .....
तुम पाषाण से शख्त नज़र आते हो
पर गुफ्तगू से पिघलते हो
सुबह के प्रथम प्रहर में तुम्हारा
अलौकिक अनूठा अविरलप्रेम
पूरे दिवस ताजगी ओज से
लबालब कर देता मुझे ........
ए अजनबी बताओ कौन हो ???
???
क्या मेरे हमदम
हमराज हो
तुम जो भी हो
जीने का नया अंदाज़ हो
बेपनाह मोह्हबत है तुमसे
तुम मेरे सुर और साज हो
तुम पलकों में भर लूंगी
मैं दूर न जाने दूंगी मैं
जीवन सारा जी लूंगी...
वंदना दुबे .....
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Tuesday 2 April 2013




गोधुली की बेला 

सुरमई सावरी साँझ
गोधुली की बेला
और फ़िर मन अकेला ....
केसरिया रश्मियों की
सुनहरी चूनर ओढ़ ली मैने
जैसे तुम्हें स्पर्श आलिंगन कर लिया मैने ......
अस्त होता प्रभाकर
नदी का किनारा
अन्जुली में जल भर में
तुम्हें खोजना चाहा !!
तुम संग मृदुल क्षणों को आत्मसात करना चाहा !!
अन्तरात्मा में वही कश्मकश ......
और फिर मन अकेला...
उद्वेलित मन
चंचल चितवन
धीमे से जो अचानक उठी
मेरी नज़र
नर्म - गर्म सा स्पर्श तुम्हारा

*** वंदना दुबे ***
काया हो गयी कुंदन
तीव्र हुई स्पंदन
की अश्रु छलक पड़े
अंगुलियों में समेट लिया तुमने
मोतियों की तरह ....

Monday 1 April 2013


भागीरथी 

शिव- शीर्ष से उतरती 
 हिमपुत्री भागीरथी 
हिमकुंडो से फिसलती 
कल -कल करती 
जड़ी -बूटियाँ समेटती 
पहाड़ो से फांदती 
धुआंधार सी बहती ......
नयनाभिराम अंचल तेरे 
बरबस मोह लेती अल्ल्हड़ता तेरी 
खीचे अपलक चपलता तेरी 
मनभावन होती आरती तेरी ......
मोक्ष- प्रदायनी 
जीवनदायनी 
 डुबकियाँ -तर्पण 
सब तुझपे अर्पन ....
नगरों को सजाती
 गावों कों बसाती 
पेड़ -पौधों को सीचती 
सब कुछ समेटती .......
जब रुख करती 
सागर ओर 
अपने संपूर्ण अस्तित्व को 
समाहित करती सागर में 
 विलुप्त और रंग जाती
अपना लेता है सागर 
एक नही कई 
कई नदियों कों 
बनके गंगा - सागर ......
.....वंदना दुबे .......


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तू चला-चल !!!

जीवन का सच

अनंत राह पर
तू चला चल !!!
जीवन की हकीकत
लोंगो को समझ
सब कुछ देख
छले जाने का सुख
तू चला चल !!!
मतलबी दुनिया
जो हमें न समझे
कुछ मत बोल
छोड़ माया मोह
तू चला -चल !!!
दुर्लभ जीवन
मृदुल वसंत
सुन ले राग वसंत
जग को भुला
अनंत राह पर
तू चला - चल !!!
कर प्रकृति से प्रेम
जहाँ सब अनंत
अभी न होगा
अपना अन्त
तू चला- चल !!!
कर विकसित
अपना मन चंचल
अभी कहा मृत्यु
अपने से कर नेह
है नवजीवन
तू चला-चल !!! ====="वंदना " =
========
=
जीवन को एक नयी दिशा मिली .


जीवन को एक नयी दिशा मिली ....
आल्हादित मन
पुलकित - पुलकित
रोम -रोम में
हो गये समाहित
बावरा मन
तुम पर मोहित
जीवन को एक नई दिशा मिली ....
जब से तुम मिले
हम गुलों से खिले
फिर शुरू सिलसिले
चन्चल - चितवन मन में
जीवन को एक नयी दिशा मिली ....
विशाल नयन
जैसे नीलगगन
हम हारे मन
रग - रग में बहे सुरसंगम
जीवन को एक नयी दिशा मिली ..
जब हम संग - संग हों
जीवन में कोंई गम न हो
नयन तेरे फिर नम न हों
नेह कभी ये कम न हो
क्या जाने कल हम न हों
जीवन को इक नई दिशा मिली ...
तुम खूब बढ़ो
दुर्गम पथ पर चलते चलो
यश मिले तुम्हें हर क़दम
जीवन को इक नई दिशा मिली .
..

प्रेम 

  प्रेम ईश्वर का दिया उपहार है चिन्तन हैं, मनुहार है प्रेम को परिभाषित करना या गढ़ना बहुत कठिन है , स्पर्श का सुख ,दृष्टी का सुख , मिलन का सुख और वियोग का सुख सारे रसों से सराबोर है प्रेम सावन की पहली बूंदों जैसा ,सर्दियों की गुलाबी ठंडक जैसा ,बसंती बयारों जैसा महकी पुरवाई ओस के शबनम जैसा इसकी व्याख्या नामुमकिन है , प्रेम दर्शन ,मनोविज्ञान , संगीत , सुरों की तान ,सृजन , त्याग, अनंत ,अनामय , सागर जैसा वर्णित करने के लिये शब्द कम है, प्रेम के अनगिनत आयाम कभी मुस्कान कभी टीस जो प्रेम को पालता है आखों में अश्रु और स्वप्न सा बसाता है वही प्रेम को समझ पाता है जो एक शाश्वत सत्य है मरणोपरांत भी उसकी ख़ुशबू जगत महसूस करता है ....:)))) —
I miss u when something really gud happens, coz u're the one I want to share it with. I miss u when something is troubling me, coz u're the only one who understands me. I miss u when I laugh and cry, coz I know that u're the one who makes my laughter grow & my tears disappear....:)

जीवन 

"जीवन त्याग तपोमय कर दे
साहस शील ह्रदय में भर दे
सयंम सत्य स्नेह का वर दे
उमंग उल्लास उत्साह से रंग दे
ईश्वर जीवन में नित् -नूतन
सीखने का सुअवसर दे !!!"

मानव जीवन ईश्वर का अतुल अनमोल उपहार है हम सबके लिए , बचपन से आज तक जीवन के हर मोड़ पर हम अनेक लोंगों से मिलते हैं और हरदम -हरपल कुछ नया सीखने को तत्पर रहते हैं , हर सुबह की शुरुआत प्रभाकर की प्रखर रश्मियों से होती है जो हमारे लिए प्रेरणादायी होती है ,

मेरे जीवन में तीन अभिन्न मित्र 1. संगीत 2. साहित्य 3. प्रकृति रहें हैं जो मुझे उर्जावान ,गुणवान और विश्वास से लबालब रखते हैं ...
जब भी मैंने इनके आलावा किसी और से जुड़ना चाहा हमेशा वेदना और टीस मिली , मेरे जीवन का एक और सच बिना स्वप्न हम कहीं पहुँच नही सकते ,बिना प्रेम के कुछ अनुभव कर नही सकते , और बिना ईश्वर की मंशा के हम कुछ पा नहीं सकते , विचार अनंत है अमर हैं और हमें सोचने और प्रदर्शित का पूरा मौका मिलना चाहिये !!!

वन्दना दुबे