कचनार भर -भर फूली
डालियाँ फिर झूली
गुलाबी पंखुरियाँ फैली
ढलते सूरज की मद्धम किरने
दैदीप्यमान हो रही तुम पर
कमसिन -कमसिन सी
बरबस खीचती हुयी सी
सारी खुशियाँ लिपटाई सी
ख़ुशबू फैलायी सी
कनक बरसायी सी
अप्रतिम - अतभुत सुन्दरता
बिखरायी सी
मैं तो बस अपलक निहारती सी
रह जाती हूँ तुम्हें
बस यही आकांक्षा
फूल बनू हर जीवन में
बिना चाह खुशियाँ बिखराऊं !!!!
------वंदना दुब
डालियाँ फिर झूली
गुलाबी पंखुरियाँ फैली
ढलते सूरज की मद्धम किरने
दैदीप्यमान हो रही तुम पर
कमसिन -कमसिन सी
बरबस खीचती हुयी सी
सारी खुशियाँ लिपटाई सी
ख़ुशबू फैलायी सी
कनक बरसायी सी
अप्रतिम - अतभुत सुन्दरता
बिखरायी सी
मैं तो बस अपलक निहारती सी
रह जाती हूँ तुम्हें
बस यही आकांक्षा
फूल बनू हर जीवन में
बिना चाह खुशियाँ बिखराऊं !!!!
------वंदना दुब
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