Wednesday 17 July 2013


मना लो मुझे !!!

" कहना मान लो मनहर !!!
मुझे मना लो
मै ज़रा जिद्दी हूँ
अकडू हूं ,
अधीर हूँ
अदक्ष हूँ
गर बिगड़ गयी ???
अकड़ गयी
अनुरत न रही
अपर्णा बन गयी
चली गयी
तो सोच लो !!!
कौन किसे
मनायेगा
समझाएगा
निष्टुर
निर्मोही
निर्णेक हो मनहर
कुछ तो कहो
इतना हट भी
अच्छा नहीं
मुझे भान है
तुम आओगे
मकरंद घोल से
अपनी मीठी रसना से
मुझे मनाओगे "
-------वंदना दुबे ---
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