घन घनन - घनक
घनगरज - चमकत - कड़कत
घुमड़ - घुमड़
घिर - घिर घिरे घनरस
घनकाल की घनघोर रुत
घिर आयी .....
****
प्रेम है ये नभ का भू से
किलक - किलक बूंदे
सम्मद - सामोद करती
विस्तृत धरा को .....
****
चहकी चंचला वसुधा
खिलखिलायी ......
हरियाली चहुँओर छायी
वन में भी मंगल छाया
कोयल मोर पपीहा गाये
नाचे करत कलरव - कोलाहल
मधुरं - मधुरं ताने सुनाये ....
****
वसुंधरा में यौवन छाया
घनी नीलिमा अम्बर में
क्षतिज हुआ सतरंगी
आँगन में तुलसी बौरायी
शीतल समीर सानंद समायी ......
***.
रागवंत और रामलता सा
बूंदों का ये प्यार घना सा
धरती और अम्बर का नाता
सबको करना सिखाता
सावन सबको है हर्षाता .
घनगरज - चमकत - कड़कत
घुमड़ - घुमड़
घिर - घिर घिरे घनरस
घनकाल की घनघोर रुत
घिर आयी .....
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प्रेम है ये नभ का भू से
किलक - किलक बूंदे
सम्मद - सामोद करती
विस्तृत धरा को .....
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चहकी चंचला वसुधा
खिलखिलायी ......
हरियाली चहुँओर छायी
वन में भी मंगल छाया
कोयल मोर पपीहा गाये
नाचे करत कलरव - कोलाहल
मधुरं - मधुरं ताने सुनाये ....
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वसुंधरा में यौवन छाया
घनी नीलिमा अम्बर में
क्षतिज हुआ सतरंगी
आँगन में तुलसी बौरायी
शीतल समीर सानंद समायी ......
***.
रागवंत और रामलता सा
बूंदों का ये प्यार घना सा
धरती और अम्बर का नाता
सबको करना सिखाता
सावन सबको है हर्षाता .
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