मन पुलकित -पुलकित ..
मन पुलकित -पुलकित ..
जब से तुम आये
जब से तुम छाये
मन पंक्षी बन उड़ जाये
फ़िजाए ख़ुशबू बिखराये
मन पुलकित - पुलकित ...
जब से तुम आये
जब से तुम छाये
मन पंक्षी बन उड़ जाये
फ़िजाए ख़ुशबू बिखराये
मन पुलकित - पुलकित ...
मन परिंदों सा चंचल
पवन से भर लूँ आँचल
खिलती रहूँ फिर पल -पल
मन पुलकित -पुलकित ...
अवनि भी मुस्कायी संग - संग
अम्बर में छा गये हैं सतरंग
उपवन में खिल गये हैं सुमन
मन मेरा सबमें रंगारंग
मन पुलकित -पुलकित ....
जब से नूर ने तुमसे मिलाया
हमने ख्वाइशों में सजाया
जग से तुम्हें छुपाया
सपनीली आंखों में बसाया
मन पुलकित - पुलकित ...
जब तक ये जीवन हों
हम हरदम - हरपल
संग - संग हों
हमसे तुम खफ़ा न हो
ये नयन तेरे फिर नम न हो
जाने न कल फिर हम न हों
ये सफ़र हमारा थम न हो
मन पुलकित - पुलकित ....
,,,,,,,,,वंदना दुबे ,,,,,,,
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