Sunday 23 June 2013

कचनार से जो शुरू हुये सिलसिले ,
केक्टस में तब्दील हो गये ,,,,,
कभी कहते थे वो !!!
इस रात की फ़िर सहर न हो
तुम हमसे कभी खफ़ा न हो
धुआं - धुआं सी जिन्दगी हो गयी
नीर की बदली बह - बह चली ....
 

एक अभिलाषा !!!!!

एक अभिलाषा !!!!!
हर जन्म में तुम्हें पाऊं ,
तुम संग " तिलक कामोद " गाऊं
मीठी तान सुनाऊं ,,,,,
आधी रात में
चांदनी से नहाऊं ,,,
अविरल अनंत अगाघ गुफ़्तगू
उषाकाल तक ,,,,
तुम्हारे ललाट में उभरी रेखाओं
को निहारूं ,
,,,
तुम्हारे वक्ष पर प्राण गवाऊं,,,,
Photo: एक अभिलाषा  !!!!!
हर जन्म में तुम्हें पाऊं ,
तुम संग " तिलक कामोद " गाऊं 
मीठी तान सुनाऊं ,,,,,
 आधी रात में 
चांदनी से नहाऊं ,,,
अविरल अनंत अगाघ गुफ़्तगू 
उषाकाल तक ,,,, 
तुम्हारे ललाट में उभरी रेखाओं 
को निहारूं ,,,,
तुम्हारे वक्ष पर प्राण गवाऊं,,,,7

Sunday 16 June 2013

 रूप के बादल झम - झम बरसों ....


रूप के बादल झम - झम बरसों ....
सघन मेघ घिर - घिर ,
कारे - कारे !!!
घनघोर गरज - गरजत
घन बरसों ....
सूरज जा छिपा बदरी में ,
डोलती तरुवर की छाया
और भयी काली - काली
बिजुरी चमके काँपे जियरा
रूप के बादल झम - झम बरसों .....
कितना चंचल कितना शीतल ,
नन्ही बूंदों का मधुर स्पर्श
कितना वत्सल कितना सुंदर
सकल साँझ के पल्लवित पल
रूप के बादल झम - झम बरसों ......
ऊँचे शिखरों से थिरकती ,
सहस्त्र धाराये आलिंगन करती
कल - कल करके नांद सुनाती
नर्तन करती सरिता बनती ,
गाये राग मल्लार !!
रूप के बादल झम - झम बरसों ......
तन है गीरा मन है सूखा ,
घोल दो मेरे नवल स्वर में
" यमन " के तानें .....
तुम आकर प्रियवर .....
रूप के बादल झम - झम बरसों ......
अपलक नयन दर्शन को आतुर ,
पुलक स्पर्श को मन है व्याकुल
चित्त धीर - अधीर है आजाओ
चपल - चपल संग - संग !!!
शोख रंग फ़िर इन्द्रधनुषी
विहंगम दृश्य निहारेंगे ......
रूप के बादल झम - झम बरसों ......

Saturday 8 June 2013

क्या बात !!!! क्या बात !!!
वो लोहपथगामिनी से उतरना
आखों का चार होना ,
दिल मैं हलकी सी दस्तक हुई
क्या बात क्या बात !!

वो सरसों की भीनी सुगंध
वो कनक की हरीतिमा ,
वो पंछी का कलरव
ऊभर खाबर पगडण्डी
क्या बात !!! क्या बात !!!

वो नदी का किनारा ,
धसती हुई पाव की कतारें
लहरों की सरसराहट
क्या बात !!! क्या बात !!!

वो सरोवर की शांति
डूबता हुआ सूरज
चमकती हुई किरने
क्या बात !!! क्या बात !!

वो सूनी- सूनी राहें
संगीत का नशा
साथ का मज़ा
सागोन की करकराहट
जैसे किसी ने चुपके से
कह दिया
क्या बात !!! क्या बा
Photo: क्या बात !!!!  क्या बात  !!!

वो लोहपथगामिनी  से उतरना 
आखों का चार होना ,
दिल मैं हलकी सी दस्तक हुई
क्या बात क्या बात !!

      वो सरसों की भीनी सुगंध 
वो कनक की हरीतिमा ,
वो पंछी का कलरव
ऊभर खाबर  पगडण्डी
क्या बात !!! क्या बात  !!!

वो नदी का  किनारा ,
धसती हुई पाव की कतारें
लहरों की सरसराहट 
क्या बात !!! क्या बात  !!!

वो सरोवर की शांति 
डूबता हुआ सूरज 
चमकती हुई किरने 
क्या बात !!! क्या बात !!

वो सूनी- सूनी   राहें 
संगीत का नशा 
साथ का मज़ा
सागोन की करकराहट 
जैसे किसी ने चुपके से 
कह दिया
क्या बात !!! क्या बात !!!
ख्वाबों में ..

वो हसीन पल
जो हमने संग -संग बिताये
ख्वाबों में .....
लब्जों से आप धीरे -धीरे
दिल में उतरते चले गये
बहुत रोका इस दिल को
लम्हा -लम्हा सरकते चले गये
ख्वाबों में ....
ह्रदय की अकुलाहट
तन की सुगबुगाहट
रुह की करकराहट
ख्वाबों में .....
नयन से नयन का मिलन
मेरा मौन समर्थन
हाथों में उलझी अंगुलिया
नदी का किनारा
दूर से कहीं घंटियों का नाद
शबनमी बुँदे चेहरे पर चमकती
ख्वाबों में ......
क़ाश ये ख़्वाब सच हो
ये सिलसिले न जुदा हो
अश्क़ न हो नैन में
और ये ख़्वाब न हो ....
****वंदना दुबे ***
 Photo: वो हसीन पल 
जो हमने संग -संग बिताये 
ख्वाबों में .....
लब्जों से आप धीरे -धीरे 
दिल में उतरते चले गये
 बहुत रोका इस दिल को 
लम्हा -लम्हा सरकते चले गये 
ख्वाबों में ....
ह्रदय की अकुलाहट 
तन की सुगबुगाहट 
रुह की करकराहट 
ख्वाबों में .....
नयन से नयन का मिलन 
मेरा मौन समर्थन 
हाथों में उलझी अंगुलिया 
नदी का किनारा 
दूर से कहीं घंटियों का नाद 
शबनमी बुँदे  चेहरे पर चमकती 
ख्वाबों में ......
क़ाश ये ख़्वाब सच हो
 ये सिलसिले न जुदा हो
 अश्क़ न हो नैन में
 और ये ख़्वाब न हो ....
****वंदना दुबे ***
मन पुलकित -पुलकित ..

मन पुलकित -पुलकित ..
जब से तुम आये
जब से तुम छाये
मन पंक्षी बन उड़ जाये
फ़िजाए ख़ुशबू बिखराये
मन पुलकित - पुलकित ...

मन परिंदों सा चंचल
पवन से भर लूँ आँचल
खिलती रहूँ फिर पल -पल
मन पुलकित -पुलकित ...

अवनि भी मुस्कायी संग - संग
अम्बर में छा गये हैं सतरंग
उपवन में खिल गये हैं सुमन
मन मेरा सबमें रंगारंग
मन पुलकित -पुलकित ....

जब से नूर ने तुमसे मिलाया
हमने ख्वाइशों में सजाया
जग से तुम्हें छुपाया
सपनीली आंखों में बसाया
मन पुलकित - पुलकित ...

जब तक ये जीवन हों
हम हरदम - हरपल
संग - संग हों
हमसे तुम खफ़ा न हो
ये नयन तेरे फिर नम न हो
जाने न कल फिर हम न हों
ये सफ़र हमारा थम न हो
मन पुलकित - पुलकित ....
,,,,,,,,,वंदना दुबे ,,,,,,,
Photo: मन पुलकित -पुलकित ..
जब से तुम आये
 जब से तुम छाये 
मन पंक्षी बन उड़  जाये 
फ़िजाए ख़ुशबू बिखराये 
मन पुलकित - पुलकित ...
मन परिंदों सा चंचल 
पवन से भर लूँ आँचल 
खिलती रहूँ फिर पल -पल 
मन पुलकित -पुलकित ...
अवनि भी मुस्कायी संग - संग 
अम्बर में छा गये हैं सतरंग 
उपवन  में खिल गये हैं सुमन 
मन मेरा सबमें रंगारंग 
मन पुलकित -पुलकित ....
जब से नूर ने तुमसे मिलाया 
हमने ख्वाइशों में  सजाया 
जग से  तुम्हें छुपाया 
सपनीली आंखों में  बसाया 
मन पुलकित - पुलकित ....
जब तक ये जीवन हों 
हम हरदम - हरपल 
संग - संग हों 
हमसे तुम खफ़ा न हो 
ये नयन तेरे फिर नम न हो 
जाने न कल फिर हम न हों 
ये सफ़र हमारा थम न हो 
मन पुलकित - पुलकित ....
,,,,,,,,,वंदना दुबे ,,,,,,,
ये दूरियाँ तुमसे ......

ये दूरियाँ तुमसे .......
विरह के रंगीन क्षण
अनंत अश्रु कण
कपोल पर
नित् बह चले .....
ये दूरियाँ तुमसे ........

अश्रु से भीगा तन - मन
उद्वेलित लहरों सी धड़कन
बिखरे केशू पत्तों जैसे
नैनो से स्वप्न पराग झरा ...
ये दूरियाँ तुमसे ........

विहान और रैन भी
बैचैन हैं तुम बिन
नभ और भू भी
निस्पृह साथ -साथ हो चले ...
ये दूरियाँ तुमसे ........

संगीत भी भाये ना तुम बिन
पतझर हो गये हैं बसंत
अवसाद करुणा से से भरा मन
नही कटते अब एक भी क्षण ......
ये दूरियाँ तुमसे .........
Photo: ये दूरियाँ तुमसे  ......
ये दूरियाँ तुमसे  .......
विरह के रंगीन क्षण
अनंत अश्रु कण
कपोल पर 
नित् बह चले .....
ये दूरियाँ तुमसे  ........

अश्रु से भीगा तन - मन 
उद्वेलित लहरों सी धड़कन 
बिखरे केशू पत्तों जैसे 
नैनो से स्वप्न पराग झरा ...
ये दूरियाँ तुमसे  ........

विहान और रैन भी 
बैचैन हैं तुम बिन 
नभ और भू भी 
निस्पृह साथ -साथ हो चले ...
ये दूरियाँ तुमसे  ........

संगीत भी भाये ना तुम बिन 
पतझर हो गये हैं बसंत 
अवसाद करुणा से से भरा मन 
नही कटते अब एक भी क्षण ......
ये दूरियाँ  तुमसे .........
मुझे मत जलाओ .....

 मुझे मत जलाओ .....
तपन की तेज़ रश्मियाँ
जेठ की तपती दोपहरी में
मुझे मत जलाओ
मैं जल रही हूँ विरहाग्नि में
प्रियतम के अकूट प्रेम में
बुला सको तो उन्हें बुलाओ .....
मुझे मत जलाओ ...
.....
मनहर बोलो !!!
तुम कब आओगे
फ़िर हम गुनगुनायेंगे
प्रेम गीत गायेंगे
फ़िर नैन से नैनों का नमन
मुझे मत जलाओ ....
......
होगा हाथों में हाथ
दरिया किनारे
अविरल प्रवाहित धारा में
पैरों की थपथपाहट
फुहारों की बूंदे चेहरे पर
बरबस ही मोह लेती हैं
मैपलकों से पोछ दूँ उन्हें ....
मुझे मत जलाओ ....
.......
वो पीपल की छैयाँ
वो पत्तों का खिलखिलाना
खडकना , चरमराना
वो अंतहीन गुफ़्तगू
लबों की कपकपाहट
वो बढ़ा हुआ रक्त -संचार
मुझे मत जलाओ ....
......
जब शाम सुहानी होती है
परिन्दों की कतारे
आसमां संजोती है
सिन्दूरी किरने
दरिया निगलती है
तुम्हारा आभास
अपने आस -पास होता है
क्या ये स्वर्ग वाले दिन
कभी आयेंगे ....
मुझे मत जलाओ ....
......
हर बार मुड़ -मुड़ देखूं
पलटकर बारम्बार
शायद चुपके से आ जाओ तुम
सच -सच बोलो
कब आओगे मनहर
मुझे मत जलाओ .....