Thursday 17 April 2014


यादें
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भोर भये
और
सांझ ढले 
नित -दिन
आते हो याद मुझे ........
अपनी " यादों " से कह दो
हमें न सताया करें
तारों की गिनती भी याद है
जाग - जाग कर
वापस चली जाया करें
हरे न चैन
मेरे पास न आयें !!

© --

वंदना दुबे
 

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