मेरी कविताएँ
Sunday 3 May 2020
लॉकडाउन
चहके पंछी
महकी वसुधा
अनुपम विस्तृत -व्योम
लॉकडाउन में !
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निर्मल पुण्यसलिला
झरते रजत - निर्झर
स्वच्छ पथ
अलौकिक सागर
पुलकित कानन
लॉकडाउन में !
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रिश्तों का आभास
व्यंजनों की मिठास
गहरी तन्मयता
बालहठ
केरम - पत्तों- लूडो के
हास- परिहास
रामायण - महाभारत
इस लॉकडाउन में !
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