मैं बसंती पवन हूँ !
मैं बसंती पवन हूँ,
जाती ठण्ड की
कुनकुनी धूप लिए
फिरूं मैं
इधर- उधर
बड़ी मनचली सी----
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पीत वसुधा
पीत कुसुम
तरुण आम्र की मंजरियाँ
को करती शोभित
खिली चमचमाती सब
मैं बसंती पवन हूँ -----
कोमल -मधुर हास -विलास
"बसंत" का आलाप करती
नव -तरंग छुई -मुई सी
चपल मैं
पुलकित करती सृष्टि
मैं बसंती पवन हूँ ------
~वंदना दुबे ~
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