मेरी कविताएँ
Sunday 5 May 2013
"बीता हुआ कल
जो न आएगा फिर कल
उसे याद न करो
वरना पछताओगे
जिंदगी गुजरती रही
वक़्त दर वक़्त
मन के द्वार पर
कितने ही पैबंद लगा दो
समृतिया खटखटाती रहेंगी
झकझोरेंगी तुम्हें
संपूर्ण अस्तित्व को
आज फिर अतीत में
क्यू चले गए हम
आओ निकल बाहर
वरना पछताओगे "
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