मौन भी अलंकृत करता है मुझे
जब तुम होते हो पास
तुम्हारे होने की अनुभूति से
मन लहरों सा चंचल
तरंगों सा तरंगित
सिन्दूरी किरणों को
समेटती लहरे
एसे ही तुम्हे
आगोश में लेने की लालसा
तुम्हारे लिए चाहत एक पन्ना
मेरे लिए पूरा एक ग्रन्थ
जिसके हर लम्हों को
सजाया है आँचल में
तुम संग बिताये पलों की
यादों से भरा ये ग्रन्थ
मेरे जीने का मकसद
जब भी तन्हा होती
उलट लेती हूँ कुछ पन्नों कों
और नजदीक होती हूँ आपके
जब तुम होते हो पास
तुम्हारे होने की अनुभूति से
मन लहरों सा चंचल
तरंगों सा तरंगित
सिन्दूरी किरणों को
समेटती लहरे
एसे ही तुम्हे
आगोश में लेने की लालसा
तुम्हारे लिए चाहत एक पन्ना
मेरे लिए पूरा एक ग्रन्थ
जिसके हर लम्हों को
सजाया है आँचल में
तुम संग बिताये पलों की
यादों से भरा ये ग्रन्थ
मेरे जीने का मकसद
जब भी तन्हा होती
उलट लेती हूँ कुछ पन्नों कों
और नजदीक होती हूँ आपके
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