मेरी कविताएँ
Sunday 16 May 2021
चैत की दोपहरी
में बह रही
इन दिनों
निर्बाध हवायेँ ----
तपिश भरे दिनों में
चिलचिलाती पवन संग
फिर मुस्काई
आँगन में,
गुलमोहर कलियाँ
दूर तक फैला सिन्दूरी बिछौना
स्वप्निल सा आभास
निहारे अपलक नयन -----
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