-----मुझे मत जलाओ ----
मुझे मत जलाओ ------मैं जल रही हूँ
विरहाग्नि में
प्रियतम के अकूत प्रेम में
बुला सको तो उन्हें बुलाओ
मुझे मत जलाओ ------
मानवी प्रीति की अंतिम अभिव्यक्ति
"तुम"
तुम संग मैंने नापा
गगन के व्यास को
आकांक्षाओं के केंद्र तुम
आओ आओ !
स्नेह वर्षा से भिगो जाओ
मुझे शांत कर जाओ
मुझे मत जलाओ ------
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