फादर्स डे पर मेरे और हर पिता को समर्पित ........../\........ !!!
पिता न जाने क्या कह दे और जीवन बदल जाये मेरे पिता बड़े ही आध्यात्मिक, सख्त, स्पष्टवादी और संगीतप्रेमी है, अनुशासन उनकी आत्मा में है I बचपन से लेकर आज भी, पापा की कर्मठता मेरी प्रेरणा -स्रोत रही है |
जीवन में जितना वे तपे है....... उससे कहीं बहुत ज्यादा सुख - समृद्धियाँ से हमारी परवरिश की है | पापा हिमालय से विशाल,अडिग व् कदम -कदम पर उनका नेह सावन की स्नेहमयी बूँदों सा बरसा है हम पर सदैव ।
पिता होते ही ऐसे हैं, जो हमें निर्देश,दिशा ,ज्ञान देते हैं , बिना जताए ,सूर्योदय से पहले उठना सूर्यदेव का आह्वान करना, अच्छा संगीत सुनना, प्रकृति - प्रेम उन्ही से सीखा और आत्मसात कर लिया। .
पापा ऊपर से अखरोट जैसे कठोर, सख़्त पर अंदर से अखरोठ जैसे ही गुणोँ की खज़ाना है, जीवन में नियमबद्धता, अनुशासन, आध्यात्म , सेवा , दान , करुणा , आशा, मदद और निरंतर क्रियान्वय रहने का भाव जीवन में उनसे ही आत्मसात किया।
कभी डरो नही बस आगे " एकला चलो " उन्ही से सीखा वे आज भी २ घंटे कुछ न कुछ पढ़ते है उनने कभी कुछ कहा नही , उन्हें देख ही हम सबने अनुसरण किया। उनका सबसे बड़ा " उपहार " कि हर मोड़ पर जीवन में हम पर भरोसा किया। और हमने भी उसकी गरिमा बनाये रखने का प्रयास किया।
हमेशा वे आज भी यही कहते है "जो करो श्रेष्ठ करो ",संघर्ष करो और अपनी जगह खुद बनाओ , लोंगो को परखने की जगह, विश्वास करो . ....., आज मै जो कुछ भी हूँ उनके अच्छे संस्कार मुझमें है , एक और अच्छी सीख लोंगों को क्षमा करना भी उनसे सीखा वे कहते है.....
" जो झुकते नहीं वे टूटते हैं ".
जीवन में जितना वे तपे है....... उससे कहीं बहुत ज्यादा सुख - समृद्धियाँ से हमारी परवरिश की है | पापा हिमालय से विशाल,अडिग व् कदम -कदम पर उनका नेह सावन की स्नेहमयी बूँदों सा बरसा है हम पर सदैव ।
पिता होते ही ऐसे हैं, जो हमें निर्देश,दिशा ,ज्ञान देते हैं , बिना जताए ,सूर्योदय से पहले उठना सूर्यदेव का आह्वान करना, अच्छा संगीत सुनना, प्रकृति - प्रेम उन्ही से सीखा और आत्मसात कर लिया। .
पापा ऊपर से अखरोट जैसे कठोर, सख़्त पर अंदर से अखरोठ जैसे ही गुणोँ की खज़ाना है, जीवन में नियमबद्धता, अनुशासन, आध्यात्म , सेवा , दान , करुणा , आशा, मदद और निरंतर क्रियान्वय रहने का भाव जीवन में उनसे ही आत्मसात किया।
कभी डरो नही बस आगे " एकला चलो " उन्ही से सीखा वे आज भी २ घंटे कुछ न कुछ पढ़ते है उनने कभी कुछ कहा नही , उन्हें देख ही हम सबने अनुसरण किया। उनका सबसे बड़ा " उपहार " कि हर मोड़ पर जीवन में हम पर भरोसा किया। और हमने भी उसकी गरिमा बनाये रखने का प्रयास किया।
हमेशा वे आज भी यही कहते है "जो करो श्रेष्ठ करो ",संघर्ष करो और अपनी जगह खुद बनाओ , लोंगो को परखने की जगह, विश्वास करो . ....., आज मै जो कुछ भी हूँ उनके अच्छे संस्कार मुझमें है , एक और अच्छी सीख लोंगों को क्षमा करना भी उनसे सीखा वे कहते है.....
" जो झुकते नहीं वे टूटते हैं ".
~~~ वंदना दुबे
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