सावन भादों बीत गये अब
सुबह -सवेरे
गुलाबी ठंडक
और
मखमली काई
खपरैलों पर,
बीती हुयी बरखा
की "खैर " जान
रही हो जैसे ..................... !!!
सुबह -सवेरे
गुलाबी ठंडक
और
मखमली काई
खपरैलों पर,
बीती हुयी बरखा
की "खैर " जान
रही हो जैसे ..................... !!!
No comments:
Post a Comment