Monday 19 October 2015

सावन भादों बीत गये अब 
सुबह -सवेरे 
गुलाबी ठंडक 
और 
मखमली काई 
खपरैलों पर,
बीती हुयी बरखा
की "खैर " जान
रही हो जैसे ..................... !!!

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