Sunday 4 August 2013


मेरे तुम्हारे सम्बन्ध "मनहर " !!!
गगन में उड़ने जैसे
पानी में चलने जैसे
पवन की खुशबू जैसे
कोई नाम नही
कोई शब्द नही
सतरंगी
लापरवाह बेपरवाह मस्त...
सुनों मनहर !!! 



सुनों मनहर !!!
शीतल पवन के झोंके
जब हमसे टकराते हैं ,
मलय तरु जब - जब भी
ख़ुशबू अपनी बिखराते हैं
आखों से नीर फ़िर
छलक - टपक जाते हैं ,

सुनों मनहर !!!
प्रकृति की प्रबुद्धता
हरश्रिंगार का मोहक बिछौना
सुर्ख पलाश की चादरे
गगन आँगन में ,
अंतरमन की प्यास बढ़ाती
सितारों की क्यारियाँ मुझे चिड़ाती ,

सुनों मनहर !!!
उव्देलित है मन बावरा
जाग रही है दारुण ज्वाला
जाने कितनी कृतियाँ
तुम पर लिख डाली "मनहर"

सुनों मनहर !!!
अपनी यादों से कह दो
हमें ना रुलाया करें .....
हमें ना तड़फाया करे
हमें ना दुखाया करे
मादक स्मृतियाँ मुझे सताती.....

सुनों मनहर !!
नयन दरस को व्याकुल
वेदना पलकों से झलके
पीछे मुड़ - मुड़ देखें पल -पल
क्यूँ हो गये नैनों से ओझल
मन भी तुम बिन आकुल - आकुल .....

सुनों मनहर !!
जो आ गये चित्तभ
तो जाने ना दूँगी
लम्हा - लम्हा मै जी लूँगी
नैनों में फ़िर भर लूंगी
उस रात की फ़िर सहर ना हो.....
वंदना दुबे
 — 

 जीवन क्या है ???
एक कविता है !!!


 जीवन क्या है ???
एक कविता है !!!!
अतुलित ख्वाबों की कल्पना है कविता 
बीतें लम्हों की स्मृति है
कविता
***
चाँद - सितारे 
अवनी - अम्बर 
मस्त फिज़ाओ का स्पर्श कराती कविता
 ***
घनकाल की बूंदे 
मिटटी की सोंधी ख़ुशबू 
गुलोँ पर ओस की नन्ही - नन्ही बूंदो 
का अहसास कराती कविता
***
परिंदों की उड़ान
 "झिंझोटी "की तान 
मन की मुस्कान है कविता

**** 
पीर हृदय की
 दास्ताने मोह्ह्बत 
दर्दे उल्फ़त 
ज़िन्दगी की अनुभूति है कविता

***
सजीले सपने 
दरिया किनारे 
मितवा व्याकुल
 मनवा की पीर
नयनन मेंनीर
घुमंतू राहगीर
बनती तस्वीर
टूटती तकदीर 
गुलाल और अबीरजैसी है कविता .....




***** वंदना दुबे *****साभार गुगल से ....



Photo: pix of my Farm house nd clik by me......:))))

कुछ बंधन ऐसे होते हैं
जो अनजाने से होते हैं
पहले मन से
फ़िर ज़िन्दगी से जुड़ जाते हैं
कहते हैं उसे " सखा ".......
जिसके ना जाने
हम कब हो जाते हैं ......
उनके अश्कों को हम भी
पलकों में छुपा जाते हैं ..