व्याख्या
'तुम्हारे ,
मनोभावों की
आज भी वही ....
--------
शनै : शनै :
सम्पूर्ण - समपर्ण
से भी तनिक भी
नहीं हुये द्रवित ....
-------
फिर क्या शेष !!!
हमारे मध्य
मेरा विश्वास जो
लौह सा शक्तिवान
तुम पर
पर तुम सख्त अप्रणयी ही रहे ....!!!
'तुम्हारे ,
मनोभावों की
आज भी वही ....
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शनै : शनै :
सम्पूर्ण - समपर्ण
से भी तनिक भी
नहीं हुये द्रवित ....
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फिर क्या शेष !!!
हमारे मध्य
मेरा विश्वास जो
लौह सा शक्तिवान
तुम पर
पर तुम सख्त अप्रणयी ही रहे ....!!!
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