Monday 22 April 2019

"लेटर बॉक्स"


आजकल नहीं
दीखते
लाल-लाल "लेटर बॉक्स"
जो
बंद रखते थे
अपने अंदर,
असंख्य सतरंगी लिफाफों को -------
जिनके अंदर
होती थी, कुछ गुलाबों की पंखुरियाँ
भीनी सुगंध
बोलते शब्द
और कभी
अश्रु -जल चिन्ह
जो हमें यादों की सैर कराते थे -------
जिन्हें संजों रखते थे
हम सूटकेस के
जेबों में
या किसी किताब
के आँचल में
जब भी पढ़ते लवणजल
छलछलाते थे ,
आज भी बीते चलचित्र से
अपना अहसास करा जाते हैं --------
आज व्हॉट्स- अप सन्देश
जो अगले दिन डिलीट -------
ना भाव न अपनापन
बस कॉपी -पेस्ट --------