चल चले जहां!
प्राची में उदयोन्मुख
किरणें
व्योम-लालिमा,
जलनिधि को आलोकित करती
जलराशि में नर्तन करती
निहारे संग-संग पाँव जल में डाल
शांत जल को बिखरायेंगे ..... !
किरणें
व्योम-लालिमा,
जलनिधि को आलोकित करती
जलराशि में नर्तन करती
निहारे संग-संग पाँव जल में डाल
शांत जल को बिखरायेंगे ..... !
======
चल चले जहां!
मलय तरु सुगंध
पवन में विलय
हो जाती हो......
क्षण -क्षण जन-जन को
आनंदित कर जाती हो .... !
मलय तरु सुगंध
पवन में विलय
हो जाती हो......
क्षण -क्षण जन-जन को
आनंदित कर जाती हो .... !
======
हिमाच्छादित पर्वत मालाएँ,
भीमपलासी की तानों संग
जहां देवदार बातें करते हैं
वसुधा से.....
बांह पसारे अनगिन झोके
चकित नयन
चल चले वहां ........!
भीमपलासी की तानों संग
जहां देवदार बातें करते हैं
वसुधा से.....
बांह पसारे अनगिन झोके
चकित नयन
चल चले वहां ........!
======
"गोमुख " की पावन
धारा में
हिम-शिखरों से श्रृंगारित
भू हो
भागरथी का
निर्मल-कलकल.... छलछल-अविरल जल
अरण्य को नित जलपान कराय रे..... !
चल चले वहां
बस मन वहीं रम जाए रे ....!!!
धारा में
हिम-शिखरों से श्रृंगारित
भू हो
भागरथी का
निर्मल-कलकल.... छलछल-अविरल जल
अरण्य को नित जलपान कराय रे..... !
चल चले वहां
बस मन वहीं रम जाए रे ....!!!
~~ वंदना दुबे ~~