Thursday 28 September 2017

चल चले जहां!
प्राची में उदयोन्मुख
किरणें
व्योम-लालिमा, 
जलनिधि को आलोकित करती
जलराशि में नर्तन करती
निहारे संग-संग पाँव जल में डाल
शांत जल को बिखरायेंगे ..... !
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चल चले जहां!
मलय तरु सुगंध
पवन में विलय
हो जाती हो......
क्षण -क्षण जन-जन को
आनंदित कर जाती हो .... !
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हिमाच्छादित पर्वत मालाएँ,
भीमपलासी की तानों संग
जहां देवदार बातें करते हैं
वसुधा से.....
बांह पसारे अनगिन झोके
चकित नयन
चल चले वहां ........!
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"गोमुख " की पावन
धारा में
हिम-शिखरों से श्रृंगारित
भू हो
भागरथी का
निर्मल-कलकल.... छलछल-अविरल जल
अरण्य को नित जलपान कराय रे..... !
चल चले वहां
बस मन वहीं रम जाए रे ....!!!
~~ वंदना दुबे ~~